आण्डाल
श्रीः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्री वानाचलमहामुनये नमः तिरुनक्षत्र : आशड मास, पूर्व फाल्गुनी नक्षत्र अवतार स्थल : श्री विल्लिपुत्तूर आचार्य : पेरियाल्वार ग्रंथ रचना : नाच्चियार तिरुमोलि, तिरुप्पावै तिरुप्पावै ६००० पड़ी व्याख्यान में, श्री पेरियवाच्चान पिल्लै सर्वप्रथम अन्य आल्वारों की तुलना में आण्डाल के वैभव और महत्व का प्रतिपादन करते है | वे … Read more